1 सच- सत्य बोलने से आपको अपनी शक्तियों व कमियों की पहचान होती है। सत्य दिखावे तथा झूठे कार्य करने से आप, अपनी शक्तियों का सही आंकलन नहीं कर पाते, इस वजह से, एक व्यक्ति के तौर पर ज्यादा प्रगति नहीं कर पाते, अगर हम इतिहास पढ़े तो आविष्कारों ,खोजों ,नए फलसफे (फिलॉसफी),तथ्य,समाज में क्रांतिकारी बदलाव,सब सत्य पर ही आधारित है।
2 सत्य बोलने से अपनेआप में आत्मविश्वास का निर्माण होता है। सच बोलने की आदत आसान कार्य नहीं हैं, ऐसा करने से आप डर को जीत लेते हो।
3 सत्य बोलने से हमें शांति मिलती है, क्योंकि झूठ बोलने से हमारी अंतरात्मा हमें कचोटती रहती है।आदमी अपने आप से तो भाग नहीं सकता है ।
4 सत्य बोलने की आदत से सामने वाला व्यक्ति आप पर भरोसा करता है, मुसीबत के वक्त यही विश्वास काम आता है।
5 सत्य बोलने से आप निडर बनते जायेंगे, जीवन में डर को जीतना एक आवश्यक जीवन कौशल है। सच बोलने से अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा पर सच्चाई की ताकत आपको मजबूत बनायेगी।
6 असत्य की राह से जुड़ने पर कुछ समय के लिए सफलता मिलेगी पर वह क्षणिक ही होगी, इसके कई उदाहरण भी दिख रहे है आज के युग में।
7 जिन लोगों ने सत्य का पालन पूरी निष्ठा से किया ऐसे लोगों ने कई नायाब कामों से बड़ी जंग को जीता। जैसे – महात्मा गाँधी,नेल्सन मंडेला,कैलाश सत्यार्थी,मदर टेरेसा !
8 “सत्यम शिवम् सुंदरम” सत्य बोलने से आप बार-बार झूठ बोलने से बच जायेंगे। कहावत भी है की ” एक झूठ को बचाने के लिए सौ झूठ और बोलने पड़ते हैं “।
9 “सत्यमेव जयते” आखिर हमेशा सच की विजय होती है, राजा हरिश्चंद्र ने अनेक मुश्किलें झेली पर सत्य की राह नहीं छोड़ी,देवताओं द्वारा कठिन परीक्षा में सफल होकर “सत्यवादी हरिश्चंद्र” कहलाये।
10 सत्य बोलने से आपको, अपने आप को पहचानने में सहायता मिलेगी, आगे चलकर अपने गुणों को पहचान कर अपने लिए जीवन में उचित मार्ग ढूंढ सकते हैं। यद्यपि सत्य बोलने की आदत बनाना आसान नहीं, पर इसकी प्रैक्टिस करके हम इसे जीवन का अंग बना सकते हैं। इसकी शुरुवात कैसे करें? हम शुरुवात में तीन से चार महीने सिर्फ सच बोलेंगे यह प्रण लें,इस दौरान यह बात भी याद रखना है की बढ़ा चढ़ा कर बोलना भी असत्य है। हमे सत्य के करीब रहने की कोशिश करनी होगी। इस दौरान हुए अनुभव से हमें सत्य का पालन जीवनभर करने के लिए बल मिलेगा।
चिंतन इस बात की भी होनी चाहिए की सत्य का पालन करना क्यों जरुरी है व कैसे हो। हमारे राष्ट्पिता गाँधीजी ने सत्य को जीवन दायिनी कहा था। सत्य व अहिंसा से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी व जीती भी। अंग्रेजी हुकूमत 50 देशों से भी ज्यादा देशों पर राज करती थी यह तो स्वाभाविक ही था की सीधी लड़ाई में जान माल का बड़ा नुकसान हो जाता।
गाँधी जी जानते थे की हिंसा से बहुत निर्दोष मारे जायेंगे। भारतीय समाज में तो परिवार में हुए मौत पर साल भर तक शोक मनाते हैं। हमारे समाज में तो किसी के मृत्यु होने पर मोहल्ले के अनजान लोग भी सांत्वना देने के लिए आते हैं। आजादी की लड़ाई में हिंसक तरीके से अंग्रेजों से लोहा लेने पर बहुत सारे भारतीयों का नरसंहार हो जाता। गाँधी जी ने सत्य की राह पर निडर होकर देश को जगाया तथा उन्हें अपनी शक्ति का एहसास दिलाया।
गाँधी जी ने सत्य व सत्याग्रह का मार्ग अपनाकर भारतीयों को अहिंसक लड़ाई के लिए “एक” किया, सच्चाई के रास्ते पर चलने से ही भारत के हर वर्ग,प्रान्त व भाषा के लोगो ने उनका साथ दिया और भारत को गुलामी की जंजीरों से आजादी दिलाकर मुक्त किया, जो की विश्व के लिए भी एक मिसाल है।
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सत्य बोलने के 10 कारण
1 सत्य बोलने से आपको अपनी शक्तियों व कमियों की पहचान होती है । दिखावे तथा झूठे कार्य करने से आप, अपनी शक्तियों का सही आंकलन नहीं कर पाते, इस वजह से ,एक व्यक्ति के तौर पर ज्यादा प्रगति नहीं कर पाते,अगर हम इतिहास पढ़े तो आविष्कार,खोज,नए फलसफे (फिलॉसफी),तथ्य,समाज में क्रांतिकारी बदलाव ,सब सत्य पर ही आधारित है ।
2 सत्य बोलने से अपने आप में आत्मविश्वास का निर्माण होता है ।सच बोलने की आदत आसान कार्य नहीं हैं,ऐसा करने से आप डर को जीत लेते हो।
3 सत्य बोलने से हमें शांति मिलती है ,क्योंकि झूठ बोलने से हमारी अंतरात्मा हमें कचोटती रहती है।आदमी अपनेआप से तो भाग नहीं सकता है ।
4 सत्य बोलने की आदत से सामने वाला व्यक्ति आप पर भरोसा करता है, मुसीबत के वक्त यही विश्वास काम आता है ।
5 सत्य बोलने से आप निडर बनते जायेंगे, जीवन में डर को जीतना एक आवश्यक जीवन कौशल है । सच बोलने से अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा पर सच्चाई की ताकत आपको मजबूत बनायेगी।
6 असत्य की राह से जुड़ने पर कुछ समय के लिए सफलता मिलेगी पर वह क्षणिक ही होगी ,इसके कई उदाहरण भी दिख रहे है आज के युग में ।
7 जिन लोगों ने सत्य का पालन पूरी निष्ठा से किया ऐसे लोगों ने कई नायाब कामों से बड़ी जंग को जीता। जैसे – महात्मा गाँधी , नेल्सन मंडेला ,कैलाश सत्यार्थी ,मदर थेरेसा !
8 “सत्यम शिवम् सुंदरम” सत्य बोलने से आप बार बार झूठ बोलने से बच जायेंगे। कहावत भी है की ” एक झूठ को बचाने के लिए सौ झूठ और बोलने पड़ते हैं “।
9 “सत्यमेव जयते” आखिर हमेशा सच की विजय होती है , राजा हरिश्चंद्र ने अनेक मुश्किलें झेली पर सत्य की राह नहीं छोड़ी,देवताओं द्वारा कठिन परीक्षा में सफल होकर “सत्यवादी हरिश्चंद्र” कहलाये।
10 सत्य बोलने से आपको, अपने आप को पहचानने में सहायता मिलेगी,आगे चलकर अपने गुणों को पहचानकर अपने लिए जीवन में उचित मार्ग ढूंढ सकते हैं । यद्यपि सत्य बोलने की आदत बनाना आसान नहीं, पर इसकी प्रेक्टिस करके हम इसे जीवन का अंग बना सकते हैं । इसकी शुरुवात कैसे करें ? हम शुरुवात में तीन से चार महीने सिर्फ सच बोलेंगे यह प्रण ले सकते हैं इस दौरान यह बात भी याद रखना है की बढ़ा चढ़ा कर बोलना भी असत्य है । हमे सत्य के करीब रहने की कोशिश करनी होगी ।इस दौरान हुए अनुभव से हमें सत्य का पालन जीवनभर करने के लिए बल मिलेगा ।
चिंतन इस बात की भी होनी चाहिए की सत्य का पालन करना क्यों जरुरी है,व कैसे हो। हमारे राष्ट्पिता गाँधीजी ने सत्य को जीवन दायिनी कहा था। सत्य व अहिंसा से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी व जीती भी ।अंग्रेजी हुकूमत 50 देशों से भी ज्यादा देशों पर राज करती थी यह तो स्वाभाविक ही था की सीधी लड़ाई में जान माल का बड़ा नुक्सान हो जाता।
गाँधी जी जानते थे की हिंसा से बहुत निर्दोष मारे जायेंगे। भारतीय समाज में तो परिवार में हुए मौत पर साल भर तक शोक मनाते हैं ।हमारे समाज में तो किसी के मृत्यु होने पर मोहल्ले के अनजान लोग भी सांत्वना देने के लिए आते हैं । आजादी की लड़ाई में हिंसक तरीके से अंग्रेजों से लोहा लेने पर बहुत सारे भारतीयों का नरसंहार हो जाता । गाँधी जी ने सत्य की राह पर निडर होकर देश को जगाया तथा उन्हें अपनी शक्ति का एहसास दिलाया ।गाँधी जी ने सत्य व सत्याग्रह का मार्ग अपनाकर भारतीयों को अहिंसक लड़ाई के लिए “एक” किया,सच्चाई के रास्ते पर चलने से ही भारत के हर वर्ग,प्रान्त,भाषा के लोगो ने उनका साथ दिया और भारत को गुलामी की जंजीरों से आजादी दिलाकर मुक्त किया,जो की विश्व के लिए भी एक मिसाल है ।
कॉल सेंटर में काम करने का अनुभव
कॉल सेंटर (B.P.O) का भारत में आना शुरू जैसे लाखों लोगों के लिए एक वरदान
था] क्योंकि इसमें अच्छी तनखा और सहूलियते थी। भारतीय के अच्छी अंग्रेजी की जानकारी
के वजह से यह कारोबार भारत में फैला रहा तथा लाखों निम्न स्तर से आये परिवार के
युवकों जो मात्र 12 वीं पास थे उन्हे भी इसमें काम करके अच्छी आमदनी करने का मौका
था।
मैंने 2003 से कॉल सेंटर में काम करना शुरू किया और